Skip to main content

मेघालय - About MEGHALAYA in Hindi Nibandh

मेघालय
(Meghalaya in Hindi)

Here is an Essay on Meghalaya (Meghalaya per Nibandh) written with some easy lines in Hindi and English meaning.
मेघालय के बारे में जानकारी हिंदी में पढ़े।

मेघालय भारत के उत्तर पूर्व में स्थित एक राज्य है इसके उत्तर में असम, जो कि ब्रह्मपुत्र नदी द्वारा विभाजित होता है और दक्षिण में बांग्लादेश स्थित है।

मेघालय की स्थापना 21 जनवरी 1972 में हुई थी।

यहॉ की राजधानी शिलांग है।

राज्य में जिलों की संख्या 7 है।

राज्य की राजभाषा अंग्रेजी है।

राज्य में सडकों की कुल लंमाई 7977.98 किमी है।

यहॉ का गोल्फ कोर्स देश के बेहतरीन गोल्फ कोर्स में से एक है।

राज्य में राज्य सभा की 1 सीट है और लोकसभा की 2 सीटें हैं।

इस राज्य का राजकीय पक्षी पहाडी मैना है।

इस राज्य का राजकीय पशु चितकबरा तेंदुआ है।

इस राज्य का राजकीय फूल लेडी स्लिपर ऑर्चिड है।

इस राज्य का राजकीय पेड गमारी है।

राज्य के सबसे बडे शहर शिलांग, तुरा, चेरापूंजी, नोंगस्तोईन हैं।

राज्य की प्रमुख फसलें चावल, मक्का, दालें, आलू, हल्दी, काली मिर्च, सुपारी, पान, आदि हैं।

राज्य की प्रमुख नदियां सिमसंग, मंदा, जन्जीराम, दमरिंग हैं।

मेघालय कृषि प्रधान राज्य है यहॉ की 80 प्रतिशत जनसंख्याकृषि पर निर्भर है।

Popular posts from this blog

घोष और अघोष Ghosh and Aghosh Varn - Alphabets in Hindi

घोष और अघोष (Ghosh and Aghosh Varn - Alphabets) :-  ध्वनि की दृष्टि से जिन व्यंजन वर्णों के उच्चारण में स्वरतन्त्रियाँ झंकृत होती है , उन्हें ' घोष ' कहते है और जिनमें स्वरतन्त्रियाँ झंकृत नहीं होती उन्हें ' अघोष ' व्यंजन कहते हैं !  ये घोष - अघोष व्यंजन इस प्रकार हैं -  In Hindi, See below Ghosh and Aghosh Varn : घोष                                   अघोष ग , घ , ङ                           क , ख ज , झ , ञ                          च , छ ड , द , ण , ड़ , ढ़                  ट , ठ द , ध , न                            त , थ ब , भ , म                            प , फ य , र , ल , व , ह                  श , ष , स

अल्पप्राण और महाप्राण (Alppraan and Mahapraan Alphabets)

अल्पप्राण और महाप्राण (Alppraan and Mahapraan Varn - Alphabets) :-  जिन वर्णों के उच्चारण में मुख से कम श्वास निकले उन्हें ' अल्पप्राण ' कहते हैं ! और जिनके उच्चारण में  अधिक श्वास निकले उन्हें ' महाप्राण 'कहते हैं! ये वर्ण इस प्रकार है - In Hindi, See below both Alppraan and Mahapraan Varn : अल्पप्राण                महाप्राण क , ग , ङ               ख , घ च , ज , ञ              छ , झ ट , ड , ण               ठ , ढ त , द , न               थ , ध प , ब , म               फ , भ य , र , ल , व        श , ष , स , ह

अन्विति Anviti in Hindi with example

अन्विति ( Anviti hindi definition) :- जब वाक्य के संज्ञा पद के लिंग, वचन, पुरुष, कारक के अनुसार किसी दूसरे पद में समान परिवर्तन हो जाता है तो उसे अन्विति (Anviti) कहते हैं। अन्विति का प्रयोग निम्नलिखित प्रकार से होता है:-  Use of Anvati is listed below : (क) कर्तरि प्रयोग (Kartri) :- जिस में क्रिया के पुरुष, लिंग और वचन कर्ता के अनुसार होते हैं, क्रिया के उस प्रयोग को कर्तरि प्रयोग कहते हैं। यह ज़रूरी है कि कर्ता विभक्ति रहित हो जैसे गीता पुस्तक पढेगी। (ख) कर्मणि प्रयोग (Karmni) :- जिस में क्रिया के लिंग और वचन कर्म के अनुसार हों उसे कर्मणि प्रयोग कहते हैं। कर्मणि प्रयोग में दो प्रकार की वाक्य रचनाएं मिलती हैं। कर्तृवाच्य की जिन भूतकालिक क्रियाओं के कर्ता के साथ 'ने' विभक्ति लगी होती है जैसे राम ने पत्र लिखा। दूसरे कर्मवाच्य में यहाँ कर्ता के साथ 'से' या 'के द्वारा' परसर्ग लगते हैं लेकिन कर्म के साथ 'को' परसर्ग नहीं लगता जैसे हमसे लड़के गिने गए। (ग) भावे प्रयोग (Bhave) : - इसमें क्रिया के पुरुष लिंग और वचन कर्ता या कर्म के अनुसार न