Skip to main content

जम्मू और कश्मीर - About JAMMU AND KASHMIR in Hindi Nibandh

जम्मू और कश्मीर
(Jammu and Kashmir in Hindi)

Here is an Essay on Jammu and Kashmir (Jammu and Kashmir per Nibandh) written with some easy lines in Hindi and English meaning. जम्मू और कश्मीर के बारे में जानकारी हिंदी में पढ़े।

जम्मू और कश्मीर भारत का सबसे उत्तर में स्थित राज्य है। पाकिस्तान इसके उत्तरी इलाके या तथाकथित "आज़ाद कश्मीर" के हिस्सों पर क़ाबिज़ है जबकि चीन ने अक्साई चिन पर कब्ज़ा किया हुआ है।

जम्मू और कश्मीर राज्य की स्थापना 26 अक्टूबर 1947 में हुई थी।

जम्मू और कश्मीर की राजधानी ग्रीष्म काल में श्रीनगर और शीतकाल में जम्मू होती है।

पहाडी क्षेत्र होने के कारण यहॉ का तापमान वर्ष भर ठण्ड रहता है।

कश्मीर का अधिकांश भाग चिनाब, झेलम, तथा सिन्धु नदी की घाटियों में स्थित है।

कश्मीर की वुलर झील भारतवर्ष में मीठे पानी की सबसे बडी झील है।

इस राज्य में सबसे ज्यादा मछलीयां वुलर झील में पायी जाती है।

राज्य अपनी सुन्दरता के कारण नंदनवन कहलाता है।

श्री नगर का प्रमुख उघोग कश्मीरी शाल की बुनाई है जो बाबर के समय से चली आ रही है।

मई से अक्टूबर महीने में जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट श्रीनगर में होता है तथा नवम्बर से अप्रैल माह के लिए जम्मू स्थानान्तरित कर दिया जाता है।

इस राज्य में जिलों की संख्या 22 है।

इस राज्य की राजकीय भाषा उर्दू है।

इस राज्य का क्षेत्रफल 222236 है।

इस राज्य की प्रमुख नदीयां झेलम, चेनाब, सिन्धु हैं।

इस राज्य के सबसे बडे शहर गुलमर्ग, कारगिल, पहलगाम, लेह, लदृाक, श्रीनगर हैं।

इस राज्य का राजकीय पशु हंगुल है।

इस राज्य का राजकीय पक्षी काले गर्दन वाला सारस है।

इस राज्य का राजकीय पेड चिनार है।

इस राज्य का राजकीय फूल कमल है।

यहॉ की प्रमुख फसलें धान, गेहूँ, मक्का, जौ, बाजरा, ज्वार आदि है।

भारतीय संविधान की धारा 370 के अन्तर्गत जम्मू कश्मीर राज्य को विशेष संवैधानिक प्रावधान दिये गये है।

इस राज्य में राज्यसभा की 4 और लोकसभा की 6 सीटें है।

Popular posts from this blog

घोष और अघोष Ghosh and Aghosh Varn - Alphabets in Hindi

घोष और अघोष (Ghosh and Aghosh Varn - Alphabets) :-  ध्वनि की दृष्टि से जिन व्यंजन वर्णों के उच्चारण में स्वरतन्त्रियाँ झंकृत होती है , उन्हें ' घोष ' कहते है और जिनमें स्वरतन्त्रियाँ झंकृत नहीं होती उन्हें ' अघोष ' व्यंजन कहते हैं !  ये घोष - अघोष व्यंजन इस प्रकार हैं -  In Hindi, See below Ghosh and Aghosh Varn : घोष                                   अघोष ग , घ , ङ                           क , ख ज , झ , ञ                          च , छ ड , द , ण , ड़ , ढ़                  ट , ठ द , ध , न                            त , थ ब , भ , म                            प , फ य , र , ल , व , ह                  श , ष , स

अल्पप्राण और महाप्राण (Alppraan and Mahapraan Alphabets)

अल्पप्राण और महाप्राण (Alppraan and Mahapraan Varn - Alphabets) :-  जिन वर्णों के उच्चारण में मुख से कम श्वास निकले उन्हें ' अल्पप्राण ' कहते हैं ! और जिनके उच्चारण में  अधिक श्वास निकले उन्हें ' महाप्राण 'कहते हैं! ये वर्ण इस प्रकार है - In Hindi, See below both Alppraan and Mahapraan Varn : अल्पप्राण                महाप्राण क , ग , ङ               ख , घ च , ज , ञ              छ , झ ट , ड , ण               ठ , ढ त , द , न               थ , ध प , ब , म               फ , भ य , र , ल , व        श , ष , स , ह

अन्विति Anviti in Hindi with example

अन्विति ( Anviti hindi definition) :- जब वाक्य के संज्ञा पद के लिंग, वचन, पुरुष, कारक के अनुसार किसी दूसरे पद में समान परिवर्तन हो जाता है तो उसे अन्विति (Anviti) कहते हैं। अन्विति का प्रयोग निम्नलिखित प्रकार से होता है:-  Use of Anvati is listed below : (क) कर्तरि प्रयोग (Kartri) :- जिस में क्रिया के पुरुष, लिंग और वचन कर्ता के अनुसार होते हैं, क्रिया के उस प्रयोग को कर्तरि प्रयोग कहते हैं। यह ज़रूरी है कि कर्ता विभक्ति रहित हो जैसे गीता पुस्तक पढेगी। (ख) कर्मणि प्रयोग (Karmni) :- जिस में क्रिया के लिंग और वचन कर्म के अनुसार हों उसे कर्मणि प्रयोग कहते हैं। कर्मणि प्रयोग में दो प्रकार की वाक्य रचनाएं मिलती हैं। कर्तृवाच्य की जिन भूतकालिक क्रियाओं के कर्ता के साथ 'ने' विभक्ति लगी होती है जैसे राम ने पत्र लिखा। दूसरे कर्मवाच्य में यहाँ कर्ता के साथ 'से' या 'के द्वारा' परसर्ग लगते हैं लेकिन कर्म के साथ 'को' परसर्ग नहीं लगता जैसे हमसे लड़के गिने गए। (ग) भावे प्रयोग (Bhave) : - इसमें क्रिया के पुरुष लिंग और वचन कर्ता या कर्म के अनुसार न