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विश्व हिन्दी दिवस (World Hindi Day) VISHWA HINDI DIWAS Nibandh in Hindi

विश्व हिन्दी दिवस निबंध
(Vishwa Hindi Diwas Essay in Hindi)

Here is an Essay of World Hindi Day (Vishwa Hindi Diwas per Nibandh) written with some easy lines in Hindi and english meaning.

प्रत्‍येक वर्ष 10 जनवरी के दिन को विश्‍व हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जाता है सबसे पहली बार 10 जनवरी 2006 को तत्‍कालीन प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने यह दिवस मनाया था

हिन्‍दी भाषा चीनी भाषा के बाद दूसरी सबसे बडी भाषा है दुनियॉ के लगभग 130 से भी ज्‍यादा विश्‍व विद्यालयों में हिन्‍दी भाषा को पढाया जाता है विश्‍व हिन्‍दी दिवस को मनाने का उद्देश्‍य हिन्‍दी का प्रचार-प्रसार और हिन्‍दी को अन्तराष्ट्रीय भाषा के रूप में पेश करना है प्रथम विश्व हिन्दी सम्मेलन 10 जनवरी 1975 को नागपुर में आयोजित हुआ था खास तौर पर यह दिवस विदेशों में स्थित भारतीय दूतावासों में बडे शान से मनाया जाता है इसके साथ ही प्रत्‍येक वर्ष 14 सितंंबर के दिन को हिन्‍दी दिवस के रूप में मनाया जाता है क्‍योंकि 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा में हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया था


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अल्पप्राण और महाप्राण (Alppraan and Mahapraan Varn - Alphabets) :-  जिन वर्णों के उच्चारण में मुख से कम श्वास निकले उन्हें ' अल्पप्राण ' कहते हैं ! और जिनके उच्चारण में  अधिक श्वास निकले उन्हें ' महाप्राण 'कहते हैं! ये वर्ण इस प्रकार है - In Hindi, See below both Alppraan and Mahapraan Varn : अल्पप्राण                महाप्राण क , ग , ङ               ख , घ च , ज , ञ              छ , झ ट , ड , ण               ठ , ढ त , द , न               थ , ध प , ब , म               फ , भ य , र , ल , व        श , ष , स , ह

अन्विति Anviti in Hindi with example

अन्विति ( Anviti hindi definition) :- जब वाक्य के संज्ञा पद के लिंग, वचन, पुरुष, कारक के अनुसार किसी दूसरे पद में समान परिवर्तन हो जाता है तो उसे अन्विति (Anviti) कहते हैं। अन्विति का प्रयोग निम्नलिखित प्रकार से होता है:-  Use of Anvati is listed below : (क) कर्तरि प्रयोग (Kartri) :- जिस में क्रिया के पुरुष, लिंग और वचन कर्ता के अनुसार होते हैं, क्रिया के उस प्रयोग को कर्तरि प्रयोग कहते हैं। यह ज़रूरी है कि कर्ता विभक्ति रहित हो जैसे गीता पुस्तक पढेगी। (ख) कर्मणि प्रयोग (Karmni) :- जिस में क्रिया के लिंग और वचन कर्म के अनुसार हों उसे कर्मणि प्रयोग कहते हैं। कर्मणि प्रयोग में दो प्रकार की वाक्य रचनाएं मिलती हैं। कर्तृवाच्य की जिन भूतकालिक क्रियाओं के कर्ता के साथ 'ने' विभक्ति लगी होती है जैसे राम ने पत्र लिखा। दूसरे कर्मवाच्य में यहाँ कर्ता के साथ 'से' या 'के द्वारा' परसर्ग लगते हैं लेकिन कर्म के साथ 'को' परसर्ग नहीं लगता जैसे हमसे लड़के गिने गए। (ग) भावे प्रयोग (Bhave) : - इसमें क्रिया के पुरुष लिंग और वचन कर्ता या कर्म के अनुसार न