Skip to main content

हॉकी खेल HOCKEY Nibandh in Hindi

हॉकी खेल निबंध
(Hockey Essay in Hindi)

Here is an Essay of Hockey (Hockey per Nibandh) written with some easy lines in Hindi and English meaning.

हॉकी भारत का राष्ट्रीय खेल है। (Indian National Sports is Hockey.)

हॉकी एक ऐसा खेल है जिसमें दो टीमें लकड़ी (Timber) या कठोर धातु (hard metal) या फाईबर (Fiber) से बनी विशेष लाठी (Stick) की सहायता से रबर या कठोर प्लास्टिक की गेंद को अपनी विरोधी टीम के नेट या गोल में डालने की कोशिश करती हैं।

हॉकी (Hockey) का पहला संगठित क्लब 1861 में स्थापित किया गया था।

हॉकी सर्वोच्च संस्था फेडरेशन इंटरनेशल दि हॉकी (The Federation Internationale Hockey) है। फेडरेशन इंटरनेशल दि हॉकी की स्थापना 1884 में हुई थी।

हॉकी का पहला अन्तर्राष्ट्रीय मैच 26 जून 1895 को राइफ में वेल्स एवं आयरलैंड (Wales and Ireland) के बीच खेला गया था।

हॉकी का पहला विश्व कप ( First world Cup) 1971 में बार्सिलोना (Barcelona) में आयोजित किया गया था।

अन्तर्राष्ट्रीय हॉकी मैच (International hockey match) की अवधि (duration) 70 मिनट होती है।

हॉकी के मैदान (Hockey arena) की (dimension) लंम्बाई 91.44 तथा चौडाई 50 से 55 मीटर होती है।

हॉकी की गैंद का वजन 155 से 163 ग्राम होता है।

सिलारू (हिमाचल प्रदेश) में भारत का सबसे ऊॅचा हॉकी का स्ट्रोटर्फ मैदान (Strotrf field) (रबड मैदान) बनाया गया है।

26 मई को सन 1928 में भारतीय हॉकी टीम (Indian hockey team) प्रथम बार ओलिम्पिक (Olympics) खेलों में सम्मिलित हुई थी।

हॉकी का पहला महिला विश्व कप (first Women's World Cup) 1974 में आयोजित किया गया था।

Popular posts from this blog

घोष और अघोष Ghosh and Aghosh Varn - Alphabets in Hindi

घोष और अघोष (Ghosh and Aghosh Varn - Alphabets) :-  ध्वनि की दृष्टि से जिन व्यंजन वर्णों के उच्चारण में स्वरतन्त्रियाँ झंकृत होती है , उन्हें ' घोष ' कहते है और जिनमें स्वरतन्त्रियाँ झंकृत नहीं होती उन्हें ' अघोष ' व्यंजन कहते हैं !  ये घोष - अघोष व्यंजन इस प्रकार हैं -  In Hindi, See below Ghosh and Aghosh Varn : घोष                                   अघोष ग , घ , ङ                           क , ख ज , झ , ञ                          च , छ ड , द , ण , ड़ , ढ़                  ट , ठ द , ध , न                            त , थ ब , भ , म                            प , फ य , र , ल , व , ह                  श , ष , स

अल्पप्राण और महाप्राण (Alppraan and Mahapraan Alphabets)

अल्पप्राण और महाप्राण (Alppraan and Mahapraan Varn - Alphabets) :-  जिन वर्णों के उच्चारण में मुख से कम श्वास निकले उन्हें ' अल्पप्राण ' कहते हैं ! और जिनके उच्चारण में  अधिक श्वास निकले उन्हें ' महाप्राण 'कहते हैं! ये वर्ण इस प्रकार है - In Hindi, See below both Alppraan and Mahapraan Varn : अल्पप्राण                महाप्राण क , ग , ङ               ख , घ च , ज , ञ              छ , झ ट , ड , ण               ठ , ढ त , द , न               थ , ध प , ब , म               फ , भ य , र , ल , व        श , ष , स , ह

अन्विति Anviti in Hindi with example

अन्विति ( Anviti hindi definition) :- जब वाक्य के संज्ञा पद के लिंग, वचन, पुरुष, कारक के अनुसार किसी दूसरे पद में समान परिवर्तन हो जाता है तो उसे अन्विति (Anviti) कहते हैं। अन्विति का प्रयोग निम्नलिखित प्रकार से होता है:-  Use of Anvati is listed below : (क) कर्तरि प्रयोग (Kartri) :- जिस में क्रिया के पुरुष, लिंग और वचन कर्ता के अनुसार होते हैं, क्रिया के उस प्रयोग को कर्तरि प्रयोग कहते हैं। यह ज़रूरी है कि कर्ता विभक्ति रहित हो जैसे गीता पुस्तक पढेगी। (ख) कर्मणि प्रयोग (Karmni) :- जिस में क्रिया के लिंग और वचन कर्म के अनुसार हों उसे कर्मणि प्रयोग कहते हैं। कर्मणि प्रयोग में दो प्रकार की वाक्य रचनाएं मिलती हैं। कर्तृवाच्य की जिन भूतकालिक क्रियाओं के कर्ता के साथ 'ने' विभक्ति लगी होती है जैसे राम ने पत्र लिखा। दूसरे कर्मवाच्य में यहाँ कर्ता के साथ 'से' या 'के द्वारा' परसर्ग लगते हैं लेकिन कर्म के साथ 'को' परसर्ग नहीं लगता जैसे हमसे लड़के गिने गए। (ग) भावे प्रयोग (Bhave) : - इसमें क्रिया के पुरुष लिंग और वचन कर्ता या कर्म के अनुसार न