Skip to main content

द्वितीय विश्‍व युद्ध (Second World War) DWITIYA VISHWAYUDH in Hindi

द्वितीय विश्‍व युद्ध
(Dwitiya Vishwayudh in Hindi)

Here is an Essay of Second World War (Dwitiya Vishwayudh per Nibandh) written with some easy lines in Hindi and English meaning.

द्वतीय विश्‍व युद्ध (Second World War) एक विश्‍व स्‍तरीय युद्ध था इस युद्ध में लगभग 5 से 7 करोड व्‍यक्तियों की जान गई थी ।

द्वतीय विश्‍व युद्ध की शुरूआत 1 सितम्‍बर 1939 को हुई थी यह युद्ध छ: वर्षों तक लड़ा गया था ।

इस युद्ध में 61 देशों ने भाग लिया था ।

इस युद्ध का कारण जर्मनी का पोलैंड पर आक्रमण था ।

इटली ने 10 जून 1940 ई को जर्मनी की ओर से द्वतीय विश्‍व युद्ध में प्रवेश किया था ।

अमेरिका ने द्वतीय विश्‍व युद्ध में 8 सितम्‍बर 1941 को प्रवेश किया था ।

द्वतीय विश्‍व युद्ध के समय इंग्लैंड के प्रधानमंत्री विंस्‍टन चर्चिल (Winston Churchill) तथा अमेरिका के राष्‍ट्रपति फ्रेकलिन डी रूजवेल्‍ट (Freklin D. Roosevelt) थे ।

द्वतीय विश्‍व युद्ध के समय जर्मनी का चांसलर एडोल्‍फ हिटलर (Adolf Hitler) था ।

द्वतीय विश्‍व युद्ध के बाद जर्मन दो भागों में बाट दिया गया 1 जर्मन संधीय गणराज्‍य जिसकी राजधानी बॉन थी और दूसरा था जर्मन गणवादी गणराज्‍य जिसकी राजधानी बर्लिन थी ।

द्वतीय विश्‍व युद्ध में मित्रराष्‍ट्र के अंतर्गत ब्रिटेन, फ्रॉस, अमेरिका, आदि थे तथा धुरी राष्‍ट्र की ओर से जर्मनी, इटली, तथा जापान थे ।

द्वतीय विश्‍व युद्ध के दौरान अमेरिका ने 6 अगस्‍त 1945 को जापान के हिरोशिमा शहर पर फैटमैन नामक परमाणु बम तथा 9 अगस्‍त 1945 केा जापान के नागासाकी शहर पर लिटिल बॉय नामक परमाणु बम को गिराया था यह बम 100 मेगावाट का था ।

द्वतीय विश्‍व युद्ध में मित्रराष्‍ट्रो द्वारा पराजित होने वाला देश जापान था ।

जापान ने हिरोशिमा तथा नागासाकी (Hiroshima and Nagasaki) पर बम गिराये जाने के कारण आत्‍मसमर्पण किया था ।

Popular posts from this blog

घोष और अघोष Ghosh and Aghosh Varn - Alphabets in Hindi

घोष और अघोष (Ghosh and Aghosh Varn - Alphabets) :-  ध्वनि की दृष्टि से जिन व्यंजन वर्णों के उच्चारण में स्वरतन्त्रियाँ झंकृत होती है , उन्हें ' घोष ' कहते है और जिनमें स्वरतन्त्रियाँ झंकृत नहीं होती उन्हें ' अघोष ' व्यंजन कहते हैं !  ये घोष - अघोष व्यंजन इस प्रकार हैं -  In Hindi, See below Ghosh and Aghosh Varn : घोष                                   अघोष ग , घ , ङ                           क , ख ज , झ , ञ                          च , छ ड , द , ण , ड़ , ढ़                  ट , ठ द , ध , न           ...

अन्विति Anviti in Hindi with example

अन्विति ( Anviti hindi definition) :- जब वाक्य के संज्ञा पद के लिंग, वचन, पुरुष, कारक के अनुसार किसी दूसरे पद में समान परिवर्तन हो जाता है तो उसे अन्विति (Anviti) कहते हैं। अन्विति का प्रयोग निम्नलिखित प्रकार से होता है:-  Use of Anvati is listed below : (क) कर्तरि प्रयोग (Kartri) :- जिस में क्रिया के पुरुष, लिंग और वचन कर्ता के अनुसार होते हैं, क्रिया के उस प्रयोग को कर्तरि प्रयोग कहते हैं। यह ज़रूरी है कि कर्ता विभक्ति रहित हो जैसे गीता पुस्तक पढेगी। (ख) कर्मणि प्रयोग (Karmni) :- जिस में क्रिया के लिंग और वचन कर्म के अनुसार हों उसे कर्मणि प्रयोग कहते हैं। कर्मणि प्रयोग में दो प्रकार की वाक्य रचनाएं मिलती हैं। कर्तृवाच्य की जिन भूतकालिक क्रियाओं के कर्ता के साथ 'ने' विभक्ति लगी होती है जैसे राम ने पत्र लिखा। दूसरे कर्मवाच्य में यहाँ कर्ता के साथ 'से' या 'के द्वारा' परसर्ग लगते हैं लेकिन कर्म के साथ 'को' परसर्ग नहीं लगता जैसे हमसे लड़के गिने गए। (ग) भावे प्रयोग (Bhave) : - इसमें क्रिया के पुरुष लिंग और वचन कर्ता या कर्म के अनुसार न...

Hindu Vivah ke Saat Vachan in Hindi and Sanskrit

There are seven promises of Hindu marriage made by Indian marriage couple (Girl & Boy) to each other. हिन्दू विवाह में सात फेरे और सात वचन होते हैं दूल्हा और दुल्हन विवाह के समय एक-दूसरे से सात वचन लेते हैं। Janiye Hindu vivah ke saat fere ke saat Vachan in Hindi and Sanskrit. हिन्दू विवाह के सात वचन : 1. तीर्थव्रतोद्यापन यज्ञकर्म मया सहैव प्रियवयं कुर्या: । वामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्रवीति वाक्यं प्रथमं कुमारी ।। कन्या वर से कहती है कि यदि आप कभी तीर्थ यात्रा में जाएँ, या कोई व्रत इत्यादि करें अथवा कोई भी धार्मिक कार्य करें तो मुझे अपने बाएँ भाग में जरुर स्थान दें। यदि आप ऐसा करने का वचन देते हैं तो मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूँ। 2. पुज्यो यथा स्वौ पितरौ ममापि तथेशभक्तो निजकर्म कुर्या: । वामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्रवीति कन्या वचनं द्वितीयम ।। दूसरे वचन में कन्या वर से वचन मांगती है कि जिस प्रकार आप अपने माता-पिता का सम्मान करते हैं, उसी प्रकार मेरे माता-पिता का भी सम्मान करें और परिवार की मर्यादा के अनुसार, धार्मिक अनुष्ठान करते हुए भगवान के भक्त बने रहें,...