Skip to main content

उच्चारणगत अशुद्धियाँ (Pronunciation Errors) - Uchcharangat & Vartani ashudhdhiyan

उच्चारणगत अशुद्धियाँ (Pronunciation Errors) :-
बोलने और लिखने में होने वाली अशुद्धियाँ प्राय: दो प्रकार की होती हैं 
(व्याकरण सम्बन्धी तथा उच्चारण सम्बन्धी)
 Two types of Pronunciation Errors - Uchcharangat ashudhdhiyan : (Vyakaran Sambandhi & Uchcharan Sambanghi)
यहाँ हम उच्चारण एवं वर्तनी (Vartani) सम्बन्धी महत्वपूर्ण त्रुटियों की ओर संकेत करंगे, ये अशुद्धियाँ स्वर एवं व्यंजन और विसर्ग तीनों वर्गों से सम्बन्धित होती हैं, व्यंजन सम्बन्धी त्रुटियाँ वर्तनी के अन्तर्गत आ गई हैं , नीचे स्वर एवं विसर्ग सम्बन्धी अशुद्धियों की और इंगित किया गया है !

अशुद्धियाँ और उनके शुद्ध रूप -

1 . - स्वर या मात्रा सम्बन्धी अशुद्धियाँ -

1 - अ ,आ सम्बन्धी भूलें -

अशुद्ध रूप शुद्ध रूप

- अहार आहार
- अजमायश आजमाइश

2 - इ , ई सम्बन्धी भलें = की मात्रा होनी चाहिए , की नहीं -

अशुद्ध रूप शुद्ध रूप

- कोटी कोटि
- कालीदास कालिदास

= की मात्रा छूट गई है , होनी चाहिए -

अशुद्ध रूप शुद्ध रूप

- वाहनी वाहिनी
- नीत नीति

= की मात्रा नहीं होनी चाहिए -

अशुद्ध रूप शुद्ध रूप

- वापिस वापस
- अहिल्या अहल्या

= की मात्रा होनी चाहिए , की नहीं -

अशुद्ध रूप शुद्ध रूप

- निरोग नीरोग
- दिवाली दीवाली

3 - उ ,ऊ सम्बन्धी भूलें -

अशुद्ध रूप शुद्ध रूप

- तुफान तूफान
- वधु वधू

4 - सम्बन्धी भलें -

अशुद्ध रूप शुद्ध रूप

- उरिण उऋण
- आदरित आदृत

5 - ए ,ऐ ,अय सम्बन्धी भलें -

अशुद्ध रूप शुद्ध रूप

- नैन नयन
- सैना सेना
- चाहिये चाहिए

6 - और यी सम्बन्धी भलें -

अशुद्ध रूप शुद्ध रूप

- नई नयी
- स्थाई स्थायी

7 - ओ , और ,अव ,आव सम्बन्धी भूलें -

अशुद्ध रूप शुद्ध रूप

- चुनाउ चुनाव
- होले हौले

8 - अनुस्वार और अनुनासिक सम्बन्धी भलें -

अशुद्ध रूप शुद्ध रूप

- गंवार गँवार
- अंधेरा अँधेरा

9 - पंचम वर्ण का प्रयोग - ज् , ण ,न , म , ङ् को पंचमाक्षर कहते हैं ,ये अपने वर्ग के व्यंजन के साथ प्रयुक्त होते हैं -

अशुद्ध रूप शुद्ध रूप

- कन्धा कंधा
- सम्वाद संवाद

10 - विसर्ग सम्बन्धी भूलें -

अशुद्ध रूप शुद्ध रूप

- दुख दुःख
- अंताकरण अंत:करण

- सन्धि करने में भूलें - ( स्वर सन्धि )-

अशुद्ध रूप शुद्ध रूप

- अत्याधिक अत्यधिक
- अनाधिकार अनधिकार
- सदोपदेश सदुपदेश

- व्यंजन सन्धि में भूलें -

अशुद्ध रूप शुद्ध रूप

- महत्व महत्त्व
- उज्वल उज्ज्वल
- सम्हार संहार

- विसर्ग सन्धि में भूलें -

अशुद्ध रूप शुद्ध रूप

- अतेव अतएव
- दुस्कर दुष्कर
- यशगान यशोगान

- समास सम्बन्धी भूलें -

अशुद्ध रूप शुद्ध रूप

- उस्मा ऊष्मा
- ऊषा उषा
- अध्यन अध्ययन

Popular posts from this blog

घोष और अघोष Ghosh and Aghosh Varn - Alphabets in Hindi

घोष और अघोष (Ghosh and Aghosh Varn - Alphabets) :-  ध्वनि की दृष्टि से जिन व्यंजन वर्णों के उच्चारण में स्वरतन्त्रियाँ झंकृत होती है , उन्हें ' घोष ' कहते है और जिनमें स्वरतन्त्रियाँ झंकृत नहीं होती उन्हें ' अघोष ' व्यंजन कहते हैं !  ये घोष - अघोष व्यंजन इस प्रकार हैं -  In Hindi, See below Ghosh and Aghosh Varn : घोष                                   अघोष ग , घ , ङ                           क , ख ज , झ , ञ                          च , छ ड , द , ण , ड़ , ढ़                  ट , ठ द , ध , न           ...

अन्विति Anviti in Hindi with example

अन्विति ( Anviti hindi definition) :- जब वाक्य के संज्ञा पद के लिंग, वचन, पुरुष, कारक के अनुसार किसी दूसरे पद में समान परिवर्तन हो जाता है तो उसे अन्विति (Anviti) कहते हैं। अन्विति का प्रयोग निम्नलिखित प्रकार से होता है:-  Use of Anvati is listed below : (क) कर्तरि प्रयोग (Kartri) :- जिस में क्रिया के पुरुष, लिंग और वचन कर्ता के अनुसार होते हैं, क्रिया के उस प्रयोग को कर्तरि प्रयोग कहते हैं। यह ज़रूरी है कि कर्ता विभक्ति रहित हो जैसे गीता पुस्तक पढेगी। (ख) कर्मणि प्रयोग (Karmni) :- जिस में क्रिया के लिंग और वचन कर्म के अनुसार हों उसे कर्मणि प्रयोग कहते हैं। कर्मणि प्रयोग में दो प्रकार की वाक्य रचनाएं मिलती हैं। कर्तृवाच्य की जिन भूतकालिक क्रियाओं के कर्ता के साथ 'ने' विभक्ति लगी होती है जैसे राम ने पत्र लिखा। दूसरे कर्मवाच्य में यहाँ कर्ता के साथ 'से' या 'के द्वारा' परसर्ग लगते हैं लेकिन कर्म के साथ 'को' परसर्ग नहीं लगता जैसे हमसे लड़के गिने गए। (ग) भावे प्रयोग (Bhave) : - इसमें क्रिया के पुरुष लिंग और वचन कर्ता या कर्म के अनुसार न...

Hindu Vivah ke Saat Vachan in Hindi and Sanskrit

There are seven promises of Hindu marriage made by Indian marriage couple (Girl & Boy) to each other. हिन्दू विवाह में सात फेरे और सात वचन होते हैं दूल्हा और दुल्हन विवाह के समय एक-दूसरे से सात वचन लेते हैं। Janiye Hindu vivah ke saat fere ke saat Vachan in Hindi and Sanskrit. हिन्दू विवाह के सात वचन : 1. तीर्थव्रतोद्यापन यज्ञकर्म मया सहैव प्रियवयं कुर्या: । वामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्रवीति वाक्यं प्रथमं कुमारी ।। कन्या वर से कहती है कि यदि आप कभी तीर्थ यात्रा में जाएँ, या कोई व्रत इत्यादि करें अथवा कोई भी धार्मिक कार्य करें तो मुझे अपने बाएँ भाग में जरुर स्थान दें। यदि आप ऐसा करने का वचन देते हैं तो मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूँ। 2. पुज्यो यथा स्वौ पितरौ ममापि तथेशभक्तो निजकर्म कुर्या: । वामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्रवीति कन्या वचनं द्वितीयम ।। दूसरे वचन में कन्या वर से वचन मांगती है कि जिस प्रकार आप अपने माता-पिता का सम्मान करते हैं, उसी प्रकार मेरे माता-पिता का भी सम्मान करें और परिवार की मर्यादा के अनुसार, धार्मिक अनुष्ठान करते हुए भगवान के भक्त बने रहें,...