Skip to main content

पक्ष Paksh in hindi

पक्ष Paksh hindi definition :-
क्रिया के जिस रूप से क्रिया प्रक्रिया अर्थात क्रिया व्यापार का बोध होता है ,उसे क्रिया का पक्ष कहते हैं ! यह क्रिया- व्यापार दो दृष्टियों से देखा जा सकता है ! पहली दृष्टि से हम देखते हैं कि क्रिया की प्रक्रिया आरंभ होने वाली है अथवा आरंभ हो चुकी है, अथवा वर्तमान में चालू है याहो चुकी है ! दूसरी दृष्टि में क्रिया -प्रक्रिया को एक इकाई के रूप में देखते हैं ! दोनों दृष्टियों के प्रमुख पक्ष उदाहरण सहित इस प्रकार हैं -
 
Below are Hindi grammar paksh in two different vision with example :

1 . (क ) आरंभदयोतक पक्ष (Arambhdyotak Paksh) -इस पक्ष में क्रिया के आरंभ होने की स्थिति का बोध होता है ,
उदाहरण - अब मोहन खेलने लगा है !

(ख ) सातप्यबोधक पक्ष (Satpyabodhak Paksh) - इससे क्रिया की प्रक्रिया के चालू रहने का बोध होता है ,
उदाहरण - गीता कितना अच्छा गा रही है !

(ग ) प्रगतिदयोतक पक्ष (Pragtidayotak Paksh) - इससे क्रिया की निरंतर प्रगति का बोध होता है ,
उदाहरण - भीड़ बढ़ती जा रही है !

(घ ) पूर्णतादयोतक पक्ष (Purntadayotak Paksh) - इस पक्ष से क्रिया के पूरी तरह समाप्त हो जाने का बोध होता है,
उदाहरण - वह अब तक काफी खेल चूका है !

2. (क ) नित्यतादयोतक पक्ष (Nityatadayotak Paksh) - इस पक्ष से क्रिया के नित्य अर्थात सदा बने रहने का बोध होता है , इसका आदि -अंत नहीं होता , 
उदाहरण - पृथ्वी गोल है !, सूरज पूर्व में निकलता है !

(ख ) अभ्यासदयोतक पक्ष (Abhyasdayotak Paksh) - यह पक्ष क्रिया के स्वभाववश होने का सूचक है , 
उदाहरण - वह दिन भर मेहनत करता था तब सफल हुआ !

Popular posts from this blog

घोष और अघोष Ghosh and Aghosh Varn - Alphabets in Hindi

घोष और अघोष (Ghosh and Aghosh Varn - Alphabets) :-  ध्वनि की दृष्टि से जिन व्यंजन वर्णों के उच्चारण में स्वरतन्त्रियाँ झंकृत होती है , उन्हें ' घोष ' कहते है और जिनमें स्वरतन्त्रियाँ झंकृत नहीं होती उन्हें ' अघोष ' व्यंजन कहते हैं !  ये घोष - अघोष व्यंजन इस प्रकार हैं -  In Hindi, See below Ghosh and Aghosh Varn : घोष                                   अघोष ग , घ , ङ                           क , ख ज , झ , ञ                          च , छ ड , द , ण , ड़ , ढ़                  ट , ठ द , ध , न           ...

अन्विति Anviti in Hindi with example

अन्विति ( Anviti hindi definition) :- जब वाक्य के संज्ञा पद के लिंग, वचन, पुरुष, कारक के अनुसार किसी दूसरे पद में समान परिवर्तन हो जाता है तो उसे अन्विति (Anviti) कहते हैं। अन्विति का प्रयोग निम्नलिखित प्रकार से होता है:-  Use of Anvati is listed below : (क) कर्तरि प्रयोग (Kartri) :- जिस में क्रिया के पुरुष, लिंग और वचन कर्ता के अनुसार होते हैं, क्रिया के उस प्रयोग को कर्तरि प्रयोग कहते हैं। यह ज़रूरी है कि कर्ता विभक्ति रहित हो जैसे गीता पुस्तक पढेगी। (ख) कर्मणि प्रयोग (Karmni) :- जिस में क्रिया के लिंग और वचन कर्म के अनुसार हों उसे कर्मणि प्रयोग कहते हैं। कर्मणि प्रयोग में दो प्रकार की वाक्य रचनाएं मिलती हैं। कर्तृवाच्य की जिन भूतकालिक क्रियाओं के कर्ता के साथ 'ने' विभक्ति लगी होती है जैसे राम ने पत्र लिखा। दूसरे कर्मवाच्य में यहाँ कर्ता के साथ 'से' या 'के द्वारा' परसर्ग लगते हैं लेकिन कर्म के साथ 'को' परसर्ग नहीं लगता जैसे हमसे लड़के गिने गए। (ग) भावे प्रयोग (Bhave) : - इसमें क्रिया के पुरुष लिंग और वचन कर्ता या कर्म के अनुसार न...

Hindu Vivah ke Saat Vachan in Hindi and Sanskrit

There are seven promises of Hindu marriage made by Indian marriage couple (Girl & Boy) to each other. हिन्दू विवाह में सात फेरे और सात वचन होते हैं दूल्हा और दुल्हन विवाह के समय एक-दूसरे से सात वचन लेते हैं। Janiye Hindu vivah ke saat fere ke saat Vachan in Hindi and Sanskrit. हिन्दू विवाह के सात वचन : 1. तीर्थव्रतोद्यापन यज्ञकर्म मया सहैव प्रियवयं कुर्या: । वामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्रवीति वाक्यं प्रथमं कुमारी ।। कन्या वर से कहती है कि यदि आप कभी तीर्थ यात्रा में जाएँ, या कोई व्रत इत्यादि करें अथवा कोई भी धार्मिक कार्य करें तो मुझे अपने बाएँ भाग में जरुर स्थान दें। यदि आप ऐसा करने का वचन देते हैं तो मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूँ। 2. पुज्यो यथा स्वौ पितरौ ममापि तथेशभक्तो निजकर्म कुर्या: । वामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्रवीति कन्या वचनं द्वितीयम ।। दूसरे वचन में कन्या वर से वचन मांगती है कि जिस प्रकार आप अपने माता-पिता का सम्मान करते हैं, उसी प्रकार मेरे माता-पिता का भी सम्मान करें और परिवार की मर्यादा के अनुसार, धार्मिक अनुष्ठान करते हुए भगवान के भक्त बने रहें,...