हिंदी ध्वनियाँ (Hindi Sounds)
हिंदी की देवनागरी लिपि में कुल 52 वर्ण हैं। यह वर्णमाला इस प्रकार है:
There are total 52 types of alphabets in Hindi Devanagari Lipi and sounds / dhwani listed below as Swar, Anuswar, Visarg, Vyanjan.
स्वर (Swar) : अ , आ , इ , ई , उ , ऊ , ऋ , ए , ऐ , ओ , औ ( कुल = 11)
अनुस्वार (Anuswar) : अं (कुल = 1)
विसर्ग (Visarg) : अ: ( : ) (कुल = 1)
व्यंजन (Vyanjan) :
Vyanjan ke bhed / prakar in hindi. There are nine types of Vyanjan : Kanthya, Taalvya, Murdhnya, Dantya, Oshthya, Antasth, Ushm, Sayunkt, dwigun. Its meaning & example described below :
कंठ्य : क , ख, ग, घ, ड़ = 5
तालव्य : च , छ, ज, झ, ञ = 5
मूर्धन्य : ट , ठ , ड , ढ , ण = 5
दन्त्य : त , थ , द , ध , न = 5
ओष्ठ्य : प , फ , ब , भ , म = 5
अन्तस्थ : य , र , ल , व = 4
ऊष्म : श , स , ष , ह = 4
संयुक्त व्यंजन : क्ष , त्र , ज्ञ , श्र = 4
द्विगुण व्यंजन : ड़ , ढ़ = 2
कुल वर्ण: 52
स्वर ध्वनियों के उच्चारण में किसी अन्य ध्वनि की सहायता नहीं ली जाती। वायु मुख विवर में बिना किसी अवरोध के बाहर निकलती है, किन्तु व्यंजन ध्वनियों के उच्चारण में स्वरों की सहायता ली जाती है।
व्यंजन वह ध्वनि है जिसके उच्चारण में भीतर से आने वाली वायु मुख विवर में कहीं न कहीं, किसी न किसी रूप में बाधित होती है।
हिंदी की देवनागरी लिपि में कुल 52 वर्ण हैं। यह वर्णमाला इस प्रकार है:
There are total 52 types of alphabets in Hindi Devanagari Lipi and sounds / dhwani listed below as Swar, Anuswar, Visarg, Vyanjan.
स्वर (Swar) : अ , आ , इ , ई , उ , ऊ , ऋ , ए , ऐ , ओ , औ ( कुल = 11)
अनुस्वार (Anuswar) : अं (कुल = 1)
विसर्ग (Visarg) : अ: ( : ) (कुल = 1)
व्यंजन (Vyanjan) :
Vyanjan ke bhed / prakar in hindi. There are nine types of Vyanjan : Kanthya, Taalvya, Murdhnya, Dantya, Oshthya, Antasth, Ushm, Sayunkt, dwigun. Its meaning & example described below :
तालव्य : च , छ, ज, झ, ञ = 5
मूर्धन्य : ट , ठ , ड , ढ , ण = 5
दन्त्य : त , थ , द , ध , न = 5
ओष्ठ्य : प , फ , ब , भ , म = 5
अन्तस्थ : य , र , ल , व = 4
ऊष्म : श , स , ष , ह = 4
संयुक्त व्यंजन : क्ष , त्र , ज्ञ , श्र = 4
द्विगुण व्यंजन : ड़ , ढ़ = 2
कुल वर्ण: 52
स्वर ध्वनियों के उच्चारण में किसी अन्य ध्वनि की सहायता नहीं ली जाती। वायु मुख विवर में बिना किसी अवरोध के बाहर निकलती है, किन्तु व्यंजन ध्वनियों के उच्चारण में स्वरों की सहायता ली जाती है।
व्यंजन वह ध्वनि है जिसके उच्चारण में भीतर से आने वाली वायु मुख विवर में कहीं न कहीं, किसी न किसी रूप में बाधित होती है।