स्वतंत्रता दिवस निबंध
(Swatantrata Diwas Essay in Hindi)
Here is an Essay of Independence Day (Swatantrata Diwas per Nibandh) written with some easy lines in Hindi and English meaning.
आजादी (independence) का मतलब वही समझ सकता है जो कभी गुलाम (Slaves) रहा हो और वही गुलामी देखी थी हमारे भारत ने, भारत को अंग्रेजों ने लगभग 200 वर्षों तक गुलाम रखा था इस गुलामी से भारत को 15 अगस्त 1947 (15, August 1947) को छुटकारा मिला था यह दिन हर भारत वासियों (Indians) के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण दिन होता है इस दिन के साथ हमारे देश के लोगों की बहुत सी यादें जुडी है इस दिन भारत वासियों को ब्रिटिश शासन (British rule) से स्वतंत्रता प्राप्त की थी।
प्रत्येक वर्ष 15 अगस्त के दिन देश के प्रधानमंत्री (Prime minister) लाल किले (Red Fort) पर देश का झंडा फहराते हैं। लेकिन देश के पहले स्वतंत्रता दिवस पर भारत के पहले प्रधानमंत्री पं जवाहर लाल नेहरू (Pandit Jawaharlal Nehru) ने लाल किले पर तिरंगा 16 अगस्त 1947 को फहराया था।
15 अगस्त 1947 को भारत के लगभग 32 करोड लोगों ने आजादी का सूरज देखा था। लेकिन जश्न के साथ-साथ इस दिन दुख की एक बात थी और वो थी भारत का विभाजन होना।
भारत के दो हिस्से हो गये थे एक था भारत और दूसरा था पाकिस्तान।
भारत के अंतिम वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन (Lord Mountbatten) ने 15 अगस्त के दिन को भारत की आजादी का दिन कहा था।
भारत को अंतिम वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन को भारत और पाकिस्तान दोनों देशों के स्वतंत्रता कार्यक्रम में शामिल होना था। इसलिए वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने पाकिस्तान (Pakistan) का स्वतंत्रता दिवस 14 अगस्त तथा भारत का स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त के रूप में घोषित किया था।
भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पं जवाहर लाल नेहरू ने अपना प्रसिद्ध भाषण ‘ट्रिस्ट विद डेस्टिनी’ (Trieste With Destiny) 14 अगस्त की मध्यरात्रि को दिया था जबकि वे देश के पहले प्रधानमंत्री वह 15 अगस्त की सुबह बने थे।
भारत देश का तिरंगा सबसे पहले 22 अगस्त, 1907 को भीकाजी कामा (Bhikaji Cama) ने जर्मन में फहराया था लेकिन उस तिरंगे में और भारत के राष्ट्रीय ध्वज में थोड़ा अंतर था। भिकाजी कामा (Bhikaji Cama) के झंडे में सबसे ऊपर हरा रंग, बीच में सुनहरा केसरी और सबसे नीचे लाल रंग था इस झंडे पर ‘वंदे मातरम’ लिखा था।
देश की आजादी स्थिर रहे इसके लिए डां राजेन्द्र प्रसाद (Dr Rajendra Prasad) ने उज्जैन के ज्योतिष सूर्यनारायण व्यास (Suryanarayana Vyas) से पंचांग देखकर आजादी का मुहूर्त निकलवाया था।
(Swatantrata Diwas Essay in Hindi)
Here is an Essay of Independence Day (Swatantrata Diwas per Nibandh) written with some easy lines in Hindi and English meaning.
आजादी (independence) का मतलब वही समझ सकता है जो कभी गुलाम (Slaves) रहा हो और वही गुलामी देखी थी हमारे भारत ने, भारत को अंग्रेजों ने लगभग 200 वर्षों तक गुलाम रखा था इस गुलामी से भारत को 15 अगस्त 1947 (15, August 1947) को छुटकारा मिला था यह दिन हर भारत वासियों (Indians) के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण दिन होता है इस दिन के साथ हमारे देश के लोगों की बहुत सी यादें जुडी है इस दिन भारत वासियों को ब्रिटिश शासन (British rule) से स्वतंत्रता प्राप्त की थी।
प्रत्येक वर्ष 15 अगस्त के दिन देश के प्रधानमंत्री (Prime minister) लाल किले (Red Fort) पर देश का झंडा फहराते हैं। लेकिन देश के पहले स्वतंत्रता दिवस पर भारत के पहले प्रधानमंत्री पं जवाहर लाल नेहरू (Pandit Jawaharlal Nehru) ने लाल किले पर तिरंगा 16 अगस्त 1947 को फहराया था।
15 अगस्त 1947 को भारत के लगभग 32 करोड लोगों ने आजादी का सूरज देखा था। लेकिन जश्न के साथ-साथ इस दिन दुख की एक बात थी और वो थी भारत का विभाजन होना।
भारत के दो हिस्से हो गये थे एक था भारत और दूसरा था पाकिस्तान।
भारत के अंतिम वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन (Lord Mountbatten) ने 15 अगस्त के दिन को भारत की आजादी का दिन कहा था।
भारत को अंतिम वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन को भारत और पाकिस्तान दोनों देशों के स्वतंत्रता कार्यक्रम में शामिल होना था। इसलिए वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने पाकिस्तान (Pakistan) का स्वतंत्रता दिवस 14 अगस्त तथा भारत का स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त के रूप में घोषित किया था।
भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पं जवाहर लाल नेहरू ने अपना प्रसिद्ध भाषण ‘ट्रिस्ट विद डेस्टिनी’ (Trieste With Destiny) 14 अगस्त की मध्यरात्रि को दिया था जबकि वे देश के पहले प्रधानमंत्री वह 15 अगस्त की सुबह बने थे।
भारत देश का तिरंगा सबसे पहले 22 अगस्त, 1907 को भीकाजी कामा (Bhikaji Cama) ने जर्मन में फहराया था लेकिन उस तिरंगे में और भारत के राष्ट्रीय ध्वज में थोड़ा अंतर था। भिकाजी कामा (Bhikaji Cama) के झंडे में सबसे ऊपर हरा रंग, बीच में सुनहरा केसरी और सबसे नीचे लाल रंग था इस झंडे पर ‘वंदे मातरम’ लिखा था।
देश की आजादी स्थिर रहे इसके लिए डां राजेन्द्र प्रसाद (Dr Rajendra Prasad) ने उज्जैन के ज्योतिष सूर्यनारायण व्यास (Suryanarayana Vyas) से पंचांग देखकर आजादी का मुहूर्त निकलवाया था।