सूर्य ग्रह
(Surya Grah in Hindi)
Here is an Essay of Planet Sun (Surya Grah per Nibandh) written with some easy lines in Hindi and English meaning. Surya Grah kya hai.
सूर्य सौरमंडल (Solar System) के केंद्र में स्थित एक तारा है। सूर्य हमारे सौरमंडल का सबसे बड़ा पिंड है।
सूर्य पृथ्वी से 13 लाख गुना बड़ा है।
सूर्य पृथ्वी से 3 लाख 30 हजार गुना भारी है।
सूर्य का व्यास लगभग 13 लाख 90 हजार किलोमीटर है।
सूर्य की आकर्षण शक्ति पृथ्वी की आकर्षण शक्ति से 28 गुना बड़ी है।
सूर्य के प्रकाश को पृथ्वी तक प्रकाश पहुचने में 8 मिनट 18 सेकंड का समय लगता है।
सूर्य अपनी धुरी पर 25 दिन 9 घन्टे 7 मिनट में एक चक्कर लगाता है।
सूर्य 21 जून को कर्क रेखा पर और 22 दिसम्बर को मकर रेखा पर लम्बवत चमकता है।
21 मार्च को और 23 सितम्बर को सूर्य की स्थिति भूमध्य रेखा पर सर्वत्र दिन और रात बराबर होते है।
यदि कोई तारा सूर्य से बड़ा है तो दो बातें संभव है या तो वह सुपर नोवा विस्पोट होकर न्यूट्रॉन तारे में बदल जायेगा जिसे पल्सर कहा जाता है या फिर वह ब्लैक होल बन जायेगा।
सिर्फ वे ही तारे कृष्णा विवर बन सकते है जो सूर्य से 3 गुना ज्यादा आकर वाले होते है। भारतीय मूल के अमेरिकी वैज्ञानिक एस. चंद्रशेखर ने आकर की यह सीमा निर्धारित की थी इस कारण इसे चंद्रशेखर सीमा कहते है।
(Surya Grah in Hindi)
Here is an Essay of Planet Sun (Surya Grah per Nibandh) written with some easy lines in Hindi and English meaning. Surya Grah kya hai.
सूर्य सौरमंडल (Solar System) के केंद्र में स्थित एक तारा है। सूर्य हमारे सौरमंडल का सबसे बड़ा पिंड है।
सूर्य पृथ्वी से 13 लाख गुना बड़ा है।
सूर्य पृथ्वी से 3 लाख 30 हजार गुना भारी है।
सूर्य का व्यास लगभग 13 लाख 90 हजार किलोमीटर है।
सूर्य की आकर्षण शक्ति पृथ्वी की आकर्षण शक्ति से 28 गुना बड़ी है।
सूर्य के प्रकाश को पृथ्वी तक प्रकाश पहुचने में 8 मिनट 18 सेकंड का समय लगता है।
सूर्य अपनी धुरी पर 25 दिन 9 घन्टे 7 मिनट में एक चक्कर लगाता है।
सूर्य 21 जून को कर्क रेखा पर और 22 दिसम्बर को मकर रेखा पर लम्बवत चमकता है।
21 मार्च को और 23 सितम्बर को सूर्य की स्थिति भूमध्य रेखा पर सर्वत्र दिन और रात बराबर होते है।
यदि कोई तारा सूर्य से बड़ा है तो दो बातें संभव है या तो वह सुपर नोवा विस्पोट होकर न्यूट्रॉन तारे में बदल जायेगा जिसे पल्सर कहा जाता है या फिर वह ब्लैक होल बन जायेगा।
सिर्फ वे ही तारे कृष्णा विवर बन सकते है जो सूर्य से 3 गुना ज्यादा आकर वाले होते है। भारतीय मूल के अमेरिकी वैज्ञानिक एस. चंद्रशेखर ने आकर की यह सीमा निर्धारित की थी इस कारण इसे चंद्रशेखर सीमा कहते है।