Skip to main content

राष्‍ट्रपति भवन (Indian President House) RASTRAPATI BHAWAN in Hindi

राष्‍ट्रपति भवन
(Rastrapati Bhawan in Hindi)

Here is an Essay of Indian President House (Rastrapati Bhawan per Nibandh) written with some easy lines in Hindi and English meaning. Rastrapati Bhawan kya hai aur ise kisne banwaya.

राष्‍ट्रपति भवन (President's House) नई दिल्‍ली में स्थित है यह भारत के राष्‍ट्रपति (President of India) का आवास होता है इस भवन का निर्माण अंग्रेजों द्वारा किया गया था यह इमारत बहुत‍ ही खूबसूरत और मनमोहक है।

राष्‍ट्रपति भवन क्षेत्रफल की हिसाब से देश में राष्‍ट्र प्रमुख का सबसे बडा निवास है।

राष्‍ट्रपति भवन को राष्‍ट्रपति निवास के नाम से भी जाना जाता है।

यह भवन इटली के रोम स्थित क्‍यूनरल पैलेस (Kyunrl Palace) के बाद दुनियां का दूसरा सबसे बडा निवास है।

इस भवन को तैयार होने में पूरे 17 वर्ष का समय लगा था। इस भवन को बनाने का कार्य 1912 में शुरू हुआ था और यह भवन सन 1929 में बनकर तैयार हुआ था। इस भवन को बनाने में करीब 29000 लोग लगाये गये थे।

इस भवन में कुल 300 से अधिक कमरे हैं जिसमें राष्‍ट्रपति कार्यलय, अतिथि भवन, कर्मचारी कक्ष शामिल है। इस भवन में लगभग 750 कर्मचारी काम करते हैं।

इस भवन को 700 मिलियन ईटों और 3 मिलियन घन फीट पत्‍थरों से बनाया गया था। इसका निर्माण वास्‍तुकार सर एडविन लैंडसीर लुटियन (Edwin Landseer Lutyens) द्वारा किया गया था।

इस भवन को स्‍वतंत्रता से पहले वायसरॉय हाउस (Viceroy's House) के नाम से जाना जाता था। यह भारत का सबसे बडा निवास स्‍थान था।

प्रत्‍येक वर्ष फरवरी माह में राष्‍ट्रपति भवन के पीछे बने मुगल गार्डन को उघानोत्‍सव नाम के त्‍योहार के दौरान जनता के लिए खोला जाता है।

इस भवन में एक गौतम बुद्ध प्रतिमा (Buddha statue) राष्‍ट्रपति भवन के दरबार हॉल के पीछे है यह प्रतिमा चौथी-पांचवीं शताब्‍दी के आस-पास की है गौतम बुद्ध की प्रतिमा जिस स्‍थान पर रखी गई है उसकी ऊॅचाई इंडिया गेट के बराबर है।

राष्‍ट्रपति भवन के बैंक्‍वेट हॉल (banquet hall) में एक साथ 104 अतिथि बैठ सकते हैं।

राष्‍ट्रपति भवन के उपहार संग्रहालय में किंग जॉर्ज पंचम की चांदी की 640 किलोग्राम की कुर्सी रखी है।

इस भवन के मार्बल हॉल में देश के वर्तमान राष्‍ट्रपति की मोम की प्रतिमा रखी है इस प्रतिमा को आसनसोल के कलाकार ने बनाया था।

इस भवन के अशोक हॉल में मंत्रि‍यों को शपथ ग्रहण जैसे समारोह होते हैं।

राष्‍ट्रपति भवन में एक विज्ञान एवं नवाचार गैलरी है जिसमें ए‍क रोबोट कुत्‍ता है इसका नाम क्‍लम्‍सी है जो बिल्‍कुल असली कुत्‍ते जैसा दिखाई देता है।

इस भवन में प्रत्‍येक शनिवार को सुबह 10 बजे से 30 मिनट तक चलने वाला चेंज ऑफ गार्ड समारोह |(Changing of the Guard ceremony) आयेाजित किया जाता है।

Popular posts from this blog

घोष और अघोष Ghosh and Aghosh Varn - Alphabets in Hindi

घोष और अघोष (Ghosh and Aghosh Varn - Alphabets) :-  ध्वनि की दृष्टि से जिन व्यंजन वर्णों के उच्चारण में स्वरतन्त्रियाँ झंकृत होती है , उन्हें ' घोष ' कहते है और जिनमें स्वरतन्त्रियाँ झंकृत नहीं होती उन्हें ' अघोष ' व्यंजन कहते हैं !  ये घोष - अघोष व्यंजन इस प्रकार हैं -  In Hindi, See below Ghosh and Aghosh Varn : घोष                                   अघोष ग , घ , ङ                           क , ख ज , झ , ञ                          च , छ ड , द , ण , ड़ , ढ़                  ट , ठ द , ध , न                            त , थ ब , भ , म                            प , फ य , र , ल , व , ह                  श , ष , स

अल्पप्राण और महाप्राण (Alppraan and Mahapraan Alphabets)

अल्पप्राण और महाप्राण (Alppraan and Mahapraan Varn - Alphabets) :-  जिन वर्णों के उच्चारण में मुख से कम श्वास निकले उन्हें ' अल्पप्राण ' कहते हैं ! और जिनके उच्चारण में  अधिक श्वास निकले उन्हें ' महाप्राण 'कहते हैं! ये वर्ण इस प्रकार है - In Hindi, See below both Alppraan and Mahapraan Varn : अल्पप्राण                महाप्राण क , ग , ङ               ख , घ च , ज , ञ              छ , झ ट , ड , ण               ठ , ढ त , द , न               थ , ध प , ब , म               फ , भ य , र , ल , व        श , ष , स , ह

अन्विति Anviti in Hindi with example

अन्विति ( Anviti hindi definition) :- जब वाक्य के संज्ञा पद के लिंग, वचन, पुरुष, कारक के अनुसार किसी दूसरे पद में समान परिवर्तन हो जाता है तो उसे अन्विति (Anviti) कहते हैं। अन्विति का प्रयोग निम्नलिखित प्रकार से होता है:-  Use of Anvati is listed below : (क) कर्तरि प्रयोग (Kartri) :- जिस में क्रिया के पुरुष, लिंग और वचन कर्ता के अनुसार होते हैं, क्रिया के उस प्रयोग को कर्तरि प्रयोग कहते हैं। यह ज़रूरी है कि कर्ता विभक्ति रहित हो जैसे गीता पुस्तक पढेगी। (ख) कर्मणि प्रयोग (Karmni) :- जिस में क्रिया के लिंग और वचन कर्म के अनुसार हों उसे कर्मणि प्रयोग कहते हैं। कर्मणि प्रयोग में दो प्रकार की वाक्य रचनाएं मिलती हैं। कर्तृवाच्य की जिन भूतकालिक क्रियाओं के कर्ता के साथ 'ने' विभक्ति लगी होती है जैसे राम ने पत्र लिखा। दूसरे कर्मवाच्य में यहाँ कर्ता के साथ 'से' या 'के द्वारा' परसर्ग लगते हैं लेकिन कर्म के साथ 'को' परसर्ग नहीं लगता जैसे हमसे लड़के गिने गए। (ग) भावे प्रयोग (Bhave) : - इसमें क्रिया के पुरुष लिंग और वचन कर्ता या कर्म के अनुसार न