मोहनजोदड़ो
(Mohenjo Daro History in Hindi)
Here is an Essay of Mohenjodaro (Mohenjo Daro History per Nibandh) written with some easy lines in Hindi and English meaning. Mohenjo Daro History kya hai.
सिन्धु सभ्यता के नगर मोहनजोदड़ो (Mohenjodaro) हडप्पा सभ्यता (Harappan civilization) का सबसे विकसित नगर था इस नगर की बनावट आज के नगरों जैसी ही थी।
मोहन जोदडो का अर्थ होता है मुर्दों का टीला।
मोहनजोदडो सिन्धु सभ्यता का सबसे विकसित शहर था।
इस नगर की खोज राखालदास बनर्जी (Rakhaldas Banerjee) ने 1922 ई. मे की थी।
मोहन जोदडो सिन्धु घाटी सभ्यता (Indus Valley Civilization) का नगर था।
मोहनजोदड़ो में 8 फीट गहरा, 23 फीट चौड़ा और 30 फीट लंबा कुंड भी हैं ऐसा माना जाता हैं कि इसका उपयोग नहाने के लिए किया जाता था।
वर्तमान में यह नगर पाकिस्तान में स्थित है।
यहॉ की खुदाई से पता चलता है कि यहॉ के लोग खेती किया करते थे।
इस नगर के लोगों को तांबा (Copper) धातु का ज्ञान था।
दुनियां में सूत के दो सबसे पुराने कपड़ों में से एक का नमूना यहाँ पर ही मिला है।
मोहनजोदड़ो की खुदाई से यहॉ कपडों की रंगाई का कारखाना भी मिला था।
मोहनजोदडो के लोग अपने खाने के लिए अन्न इकठ्ठा किया करते थे क्योकि यहाँ खुदाई में बडे-बडे अन्न भंडार के प्रमाण भी मिले है।
इस नगर में बडे-बडे घर चौडी सडकें और बहुत सारे कुआं होने के प्रमाण मिलते हैं।
इस नगर के दरवाजे और खिडकियॉ सडक की ओर न खुलकर पिछवाड़े की ओर खुलती थीं।
मोहनजोदड़ो नगर में व्यापार बडे स्तर पर होता था उस समय कोई भी मु्द्रा नहीं चलती थी बस चीजों की अदला-बदली से ही व्यापार चलता था।
इस सभ्यता में समुद्र के रास्ते दूसरे देशों से भी व्यापार होता था।
मोहनजोदड़ो नगर में लगाई गई इंटें वाटर प्रूफ थी इन इंटें पर पानी और वारिश का कोई असर नहीं होता था।
इस नगर के लोग मूर्ति पूजा में भी विश्वास रखते थे।
मोहनजोदड़ो नगर के लोगों द्वारा लिखी गई लिपि को अभी तक पढा नहीं जा सका है।
इस नगर का पतन कैसे हुआ यह आज तक रहस्य बना हुआ है।
(Mohenjo Daro History in Hindi)
Here is an Essay of Mohenjodaro (Mohenjo Daro History per Nibandh) written with some easy lines in Hindi and English meaning. Mohenjo Daro History kya hai.
सिन्धु सभ्यता के नगर मोहनजोदड़ो (Mohenjodaro) हडप्पा सभ्यता (Harappan civilization) का सबसे विकसित नगर था इस नगर की बनावट आज के नगरों जैसी ही थी।
मोहन जोदडो का अर्थ होता है मुर्दों का टीला।
मोहनजोदडो सिन्धु सभ्यता का सबसे विकसित शहर था।
इस नगर की खोज राखालदास बनर्जी (Rakhaldas Banerjee) ने 1922 ई. मे की थी।
मोहन जोदडो सिन्धु घाटी सभ्यता (Indus Valley Civilization) का नगर था।
मोहनजोदड़ो में 8 फीट गहरा, 23 फीट चौड़ा और 30 फीट लंबा कुंड भी हैं ऐसा माना जाता हैं कि इसका उपयोग नहाने के लिए किया जाता था।
वर्तमान में यह नगर पाकिस्तान में स्थित है।
यहॉ की खुदाई से पता चलता है कि यहॉ के लोग खेती किया करते थे।
इस नगर के लोगों को तांबा (Copper) धातु का ज्ञान था।
दुनियां में सूत के दो सबसे पुराने कपड़ों में से एक का नमूना यहाँ पर ही मिला है।
मोहनजोदड़ो की खुदाई से यहॉ कपडों की रंगाई का कारखाना भी मिला था।
मोहनजोदडो के लोग अपने खाने के लिए अन्न इकठ्ठा किया करते थे क्योकि यहाँ खुदाई में बडे-बडे अन्न भंडार के प्रमाण भी मिले है।
इस नगर में बडे-बडे घर चौडी सडकें और बहुत सारे कुआं होने के प्रमाण मिलते हैं।
इस नगर के दरवाजे और खिडकियॉ सडक की ओर न खुलकर पिछवाड़े की ओर खुलती थीं।
मोहनजोदड़ो नगर में व्यापार बडे स्तर पर होता था उस समय कोई भी मु्द्रा नहीं चलती थी बस चीजों की अदला-बदली से ही व्यापार चलता था।
इस सभ्यता में समुद्र के रास्ते दूसरे देशों से भी व्यापार होता था।
मोहनजोदड़ो नगर में लगाई गई इंटें वाटर प्रूफ थी इन इंटें पर पानी और वारिश का कोई असर नहीं होता था।
इस नगर के लोग मूर्ति पूजा में भी विश्वास रखते थे।
मोहनजोदड़ो नगर के लोगों द्वारा लिखी गई लिपि को अभी तक पढा नहीं जा सका है।
इस नगर का पतन कैसे हुआ यह आज तक रहस्य बना हुआ है।