Skip to main content

अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस - International Literacy Day Essay in Hindi

अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस निबंध
(antarrashtriya saksharta diwas Essay in Hindi)

Here is an Essay of International Literacy Day (antarrashtriya saksharta diwas per Nibandh) written with some easy lines in Hindi and English meaning.

"एषां न विद्या न तपो ना दानं , ज्ञानम न शीलम न गुणो न धर्म:
ते मृत्युलोके भूविभार भूता, मनुष्‍य रूपेण मृगाश्चरन्ति"


जिस मनुष्‍य के पास ना तो विद्या है ना तप है और ना जो दान करना जानता है, न ज्ञान है न शील है न कोई गुण है न धर्म है वह व्‍यक्त्‍िा धरती पर बोझ के समान है और मृग की भांति विचरण करता फिरता है- इस श्लोक से स्पष्ट है की मानव जीवन में शिक्षा का क्या महत्व है।

हमारे देश में साक्षरता बढाने के लिए समय समय पर विभिन्न प्रयास किये जाते रहे हैं सर्व शिक्षा अभियान, मिड डे मील योजना, प्रौढ़ शिक्षा योजना, राजीव गाँधी साक्षरता मिशन आदि न जाने कितने अभियान चलाये जा रहे हैं शिक्षा के इसी महत्व को ध्‍यान में रखते हुऐ यूनेस्‍को ने 17 नवम्बर 1965 को प्रत्‍येक वर्ष 8 सितम्‍बर के दिन को अन्‍तराष्‍ट्रीय साक्षरता दिवस के नाम से मनाने की घोषणा की थी।

"विद्या ददाति विनयम, विनयम ददाति पात्रता "
अर्थात विद्या व्यक्ति को विनय प्रदान करती है, और विनय ही आपको पात्र व्यक्ति बनाता है।


पुराने समय में ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का स्‍तर काफी गिरा हुआ था ग्रामीण क्षेत्रों में लडकीयों को पढाया नहीं जाता था लेकिन धीरे धीरे इन सब में सुधार होने लगा है आज कल ग्रामीण क्षेत्रों से लडकीयॉ बडे शहरों में पढने के लिए जाने लगी हैं क्‍योंकि एक शिक्षित महिला ही पूरे परिवार का शिक्षित और समृध बना सकती है ,अब तो अगर आप अपने बच्‍चे का ऐडमीशन किसी बडे स्‍कूल में करना चाहते हैं तो बच्‍चे के माता-पिता का शिक्षित होना आवश्‍यक है।

Popular posts from this blog

घोष और अघोष Ghosh and Aghosh Varn - Alphabets in Hindi

घोष और अघोष (Ghosh and Aghosh Varn - Alphabets) :-  ध्वनि की दृष्टि से जिन व्यंजन वर्णों के उच्चारण में स्वरतन्त्रियाँ झंकृत होती है , उन्हें ' घोष ' कहते है और जिनमें स्वरतन्त्रियाँ झंकृत नहीं होती उन्हें ' अघोष ' व्यंजन कहते हैं !  ये घोष - अघोष व्यंजन इस प्रकार हैं -  In Hindi, See below Ghosh and Aghosh Varn : घोष                                   अघोष ग , घ , ङ                           क , ख ज , झ , ञ                          च , छ ड , द , ण , ड़ , ढ़                  ट , ठ द , ध , न                            त , थ ब , भ , म                            प , फ य , र , ल , व , ह                  श , ष , स

अल्पप्राण और महाप्राण (Alppraan and Mahapraan Alphabets)

अल्पप्राण और महाप्राण (Alppraan and Mahapraan Varn - Alphabets) :-  जिन वर्णों के उच्चारण में मुख से कम श्वास निकले उन्हें ' अल्पप्राण ' कहते हैं ! और जिनके उच्चारण में  अधिक श्वास निकले उन्हें ' महाप्राण 'कहते हैं! ये वर्ण इस प्रकार है - In Hindi, See below both Alppraan and Mahapraan Varn : अल्पप्राण                महाप्राण क , ग , ङ               ख , घ च , ज , ञ              छ , झ ट , ड , ण               ठ , ढ त , द , न               थ , ध प , ब , म               फ , भ य , र , ल , व        श , ष , स , ह

अन्विति Anviti in Hindi with example

अन्विति ( Anviti hindi definition) :- जब वाक्य के संज्ञा पद के लिंग, वचन, पुरुष, कारक के अनुसार किसी दूसरे पद में समान परिवर्तन हो जाता है तो उसे अन्विति (Anviti) कहते हैं। अन्विति का प्रयोग निम्नलिखित प्रकार से होता है:-  Use of Anvati is listed below : (क) कर्तरि प्रयोग (Kartri) :- जिस में क्रिया के पुरुष, लिंग और वचन कर्ता के अनुसार होते हैं, क्रिया के उस प्रयोग को कर्तरि प्रयोग कहते हैं। यह ज़रूरी है कि कर्ता विभक्ति रहित हो जैसे गीता पुस्तक पढेगी। (ख) कर्मणि प्रयोग (Karmni) :- जिस में क्रिया के लिंग और वचन कर्म के अनुसार हों उसे कर्मणि प्रयोग कहते हैं। कर्मणि प्रयोग में दो प्रकार की वाक्य रचनाएं मिलती हैं। कर्तृवाच्य की जिन भूतकालिक क्रियाओं के कर्ता के साथ 'ने' विभक्ति लगी होती है जैसे राम ने पत्र लिखा। दूसरे कर्मवाच्य में यहाँ कर्ता के साथ 'से' या 'के द्वारा' परसर्ग लगते हैं लेकिन कर्म के साथ 'को' परसर्ग नहीं लगता जैसे हमसे लड़के गिने गए। (ग) भावे प्रयोग (Bhave) : - इसमें क्रिया के पुरुष लिंग और वचन कर्ता या कर्म के अनुसार न