Given here Hindi Story of A Jackal for children's moral education. एक सियार की कहानी यहाँ हिंदी भाषा में दी गयी है ।
एक जंगल में एक सियार अपनी पत्नी के साथ रहता था। एक दिन उसकी पत्नी को ताजी मछली खाने की तीव्र इच्छा हुई। सियार अपनी पत्नी से वादा कर नदी किनारे पहुँचा, ताकि मछलियों का कुछ इंतजाम किया जा सके।
वह बहुत देर तक वहाँ मछलियों की तलाश करता रहा पर उसे कुछ दिखलाई नहीं पड़ा। तभी उसने वहाँ देखा कि दो ऊदबिलाव एक बड़ी मछली को नदी में से खींचकर बाहर ला रहे हैं। वह ऊदबिलावों के पास गया और उसने कहा | मित्रों, तुम दोनों ने मिलकर यह मछली पकड़ तो ली है परंतु इसका बँटवारा तुम कैसे करोगे? ज्यादा अच्छा हो यदि तुम किसी तीसरे से इसका बँटवारा करवाओ। दोनों ऊदबिलावों को यह बात जम गई।
आसपास कोई तीसरा था नहीं, लिहाजा उन्होंने सियार से ही बँटवारा करने को कहा। सियार ने मछली के तीन हिस्से किए। उसने मछली का सिर एक ऊदबिलाव को दिया और पूँछ दूसरे को। बीच का पूरा हिस्सा लेकर वह अपने घर की ओर चलने लगा।
ऊदबिलावों ने उसे रोका और पूछा? अरे, तुम क्या करते हो? तुम तो मछली का बँटवारा हम दोनों के बीच कर रहे थे। सियार ने जवाब दिया मूर्खों, तुम दोनों को बराबर का हिस्सा मिल चुका है। यह मेरा मेहनताना है।
यह कह कर वह मछली के बड़े हिस्से को लेकर चला गया। तब दोनों ने तय किया कि भविष्य में वे किसी भी तीसरे के चक्कर में नहीं आएँगे।
एक जंगल में एक सियार अपनी पत्नी के साथ रहता था। एक दिन उसकी पत्नी को ताजी मछली खाने की तीव्र इच्छा हुई। सियार अपनी पत्नी से वादा कर नदी किनारे पहुँचा, ताकि मछलियों का कुछ इंतजाम किया जा सके।
वह बहुत देर तक वहाँ मछलियों की तलाश करता रहा पर उसे कुछ दिखलाई नहीं पड़ा। तभी उसने वहाँ देखा कि दो ऊदबिलाव एक बड़ी मछली को नदी में से खींचकर बाहर ला रहे हैं। वह ऊदबिलावों के पास गया और उसने कहा | मित्रों, तुम दोनों ने मिलकर यह मछली पकड़ तो ली है परंतु इसका बँटवारा तुम कैसे करोगे? ज्यादा अच्छा हो यदि तुम किसी तीसरे से इसका बँटवारा करवाओ। दोनों ऊदबिलावों को यह बात जम गई।
आसपास कोई तीसरा था नहीं, लिहाजा उन्होंने सियार से ही बँटवारा करने को कहा। सियार ने मछली के तीन हिस्से किए। उसने मछली का सिर एक ऊदबिलाव को दिया और पूँछ दूसरे को। बीच का पूरा हिस्सा लेकर वह अपने घर की ओर चलने लगा।
ऊदबिलावों ने उसे रोका और पूछा? अरे, तुम क्या करते हो? तुम तो मछली का बँटवारा हम दोनों के बीच कर रहे थे। सियार ने जवाब दिया मूर्खों, तुम दोनों को बराबर का हिस्सा मिल चुका है। यह मेरा मेहनताना है।
यह कह कर वह मछली के बड़े हिस्से को लेकर चला गया। तब दोनों ने तय किया कि भविष्य में वे किसी भी तीसरे के चक्कर में नहीं आएँगे।