श्रुतिसमभिन्नार्थक शब्द (Shrutisambhinnarthak Shabd) :-
ये शब्द चार शब्दों से मिलकर बना है ,श्रुति+सम +भिन्न +अर्थ, इसका अर्थ है सुनने में समान लगने वाले किन्तु भिन्न अर्थ वाले दो शब्द अर्थात वे शब्द जो सुनने और उच्चारण करने में समान प्रतीत हों, किन्तु उनके अर्थ भिन्न -भिन्न हों , वे श्रुतिसमभिन्नार्थक शब्द कहलाते हैं !
ये शब्द चार शब्दों से मिलकर बना है ,श्रुति+सम +भिन्न +अर्थ, इसका अर्थ है सुनने में समान लगने वाले किन्तु भिन्न अर्थ वाले दो शब्द अर्थात वे शब्द जो सुनने और उच्चारण करने में समान प्रतीत हों, किन्तु उनके अर्थ भिन्न -भिन्न हों , वे श्रुतिसमभिन्नार्थक शब्द कहलाते हैं !
Shruti Sam Bhinnarthak words with Different Meanings and Same Pronunciation in hindi.
ऐसे शब्द सुनने या उच्चारण करने में समान भले प्रतीत हों ,किन्तु समान होते नहीं हैं, इसलिए उनके अर्थ में भी परस्पर भिन्नता होती है ;
उदाहरण - (अवलम्ब और अविलम्ब) दोनों शब्द सुनने में समान लग रहे हैं, किन्तु वास्तव में समान हैं नहीं, अत: दोनों शब्दों के अर्थभी पर्याप्त भिन्न हैं, 'अवलम्ब ' का अर्थ है - सहारा , जबकि अविलम्ब का अर्थ है - बिना विलम्ब के अर्थात शीघ्र !
उदाहरण - (अवलम्ब और अविलम्ब) दोनों शब्द सुनने में समान लग रहे हैं, किन्तु वास्तव में समान हैं नहीं, अत: दोनों शब्दों के अर्थभी पर्याप्त भिन्न हैं, 'अवलम्ब ' का अर्थ है - सहारा , जबकि अविलम्ब का अर्थ है - बिना विलम्ब के अर्थात शीघ्र !
ये शब्द निम्न इस प्रकार से है -
अंस - अंश = कंधा - हिस्सा
अंत - अत्य = समाप्त - नीच
अन्न -अन्य = अनाज -दूसरा
अभिराम -अविराम = सुंदर -लगातार
अम्बुज - अम्बुधि = कमल -सागर
अनिल - अनल = हवा -आग
अश्व - अश्म = घोड़ा -पत्थर
अनिष्ट - अनिष्ठ = हानि - श्रद्धाहीन
अचर - अनुचर = न चलने वाला - नौकर
अमित - अमीत = बहुत - शत्रु
अभय - उभय = निर्भय - दोनों
अस्त - अस्त्र = आँसू - हथियार
असित - अशित = काला - भोथरा
अर्घ - अर्घ्य = मूल्य - पूजा सामग्री
अली - अलि = सखी - भौंरा
अवधि - अवधी = समय - अवध की भाषा
आरति - आरती = दुःख - धूप-दीप
आहूत - आहुति = निमंत्रित - होम
आसन - आसन्न = बैठने की वस्तु - निकट
आवास - आभास = मकान - झलक
आभरण - आमरण = आभूषण - मरण तक
आर्त्त - आर्द्र = दुखी - गीला
ऋत - ऋतु = सत्य - मौसम
कुल - कूल = वंश - किनारा
कंगाल - कंकाल = दरिद्र - हड्डी का ढाँचा
कृति - कृती = रचना - निपुण
कान्ति - क्रान्ति = चमक - उलटफेर
कलि - कली = कलयुग - अधखिला फूल
कपिश - कपीश = मटमैला - वानरों का राजा
कुच - कूच = स्तन - प्रस्थान
कटिबन्ध - कटिबद्ध = कमरबन्ध - तैयार / तत्पर
छात्र - क्षात्र = विधार्थी - क्षत्रिय
गण - गण्य = समूह - गिनने योग्य
चषक - चसक = प्याला - लत
चक्रवाक - चक्रवात = चकवा पक्षी - तूफान
जलद - जलज = बादल - कमल
तरणी - तरुणी = नाव - युवती
तनु - तनू = दुबला - पुत्र
दारु - दारू = लकड़ी - शराब
दीप - द्वीप = दिया - टापू
दिवा - दीवा = दिन - दीपक
देव - दैव = देवता - भाग्य
नत - नित = झुका हुआ - प्रतिदिन
नीर - नीड़ = जल - घोंसला
नियत - निर्यात = निश्चित - भाग्य
नगर - नागर = शहर - शहरी
निशित - निशीथ = तीक्ष्ण - आधी रात
नमित - निमित = झुका हुआ - हेतु
नीरद - नीरज = बादल - कमल\
नारी - नाड़ी = स्त्री - नब्ज
निसान - निशान = झंडा - चिन्ह
निशाकर - निशाचर = चन्द्रमा - राक्षस
पुरुष - परुष = आदमी - कठोर
प्रसाद - प्रासाद = कृपा - महल
परिणाम - परिमाण = नतीजा - मात्रा
Hindi Shrutisambhinnarthak Shabd udaharan :
Hindi Shrutisambhinnarthak Shabd udaharan :
1. प्रणय -परिणय
प्रेम अथवा प्रीति का नाम प्रणय है जबकि परिणय विवाह को कहते हैं !
उनके प्रणय की परिणिति परिणय में हुई .
2. संपन्न -समापन
संपन्न शब्द का प्रयोग समाप्ति का द्योतक है .
समापन अर्थात समाप्ति से पूर्व का अंतिम समारोह .
समापन समारोह संपन्न हुआ .
3. श्रम -परिश्रम
श्रम का तात्पर्य शारीरिक श्रम से होता है जैसे श्रमिक का श्रम .
परिश्रम जिसमे शारीरिक और मानसिक दोनों प्रकार का श्रम शामिल हो , जैसे राम परीक्षा में परिश्रम से उत्तीर्ण हुआ .
4. शंका -आशंका
शंका अर्थात जिज्ञासा , जानने की उत्सुकता , आपत्ति
आशंका का प्रयोग संदेह के अर्थ में किया जाता है . " देशों के मध्य बढ़ते तनाव के मद्देनजर गृहयुद्ध की आशंका है ".
5. वेश्या -वैश्या
वेश्या कुलटा स्त्री है , जो अपने शरीर का व्यापार करती है ...जबकि वैश्या वैश्य स्त्री है ,वह आचार्या भी हो सकती है .
6. भागवत - भगवद् गीता
भागवत अठारह पुराणों में से एक पुराण है जबकि भगवद् गीता महाभारत का वह अंश है जिसमे श्रीकृष्ण ने अर्जुन को निष्काम कर्मयोग का उपदेश दिया था .
7. नृत्य -नृत
नृत्य एक कला है , जिसमे भावप्रधानता होती है जबकि नृत नृत्य का बाह्य अनुकरण है . नृत्य नृत और नाट्य का मिश्रण है जबकि नृत में तालों का प्रयोग होता है.
8. विस्तर -विस्तार
विस्तार का अर्थ फैलाव है जबकि विस्तर अर्थात विस्तार प्राप्त किया हुआ .
9. प्रेमिका -प्रिया
प्रेमिका प्रेम करती है जबकि प्रिया वह है जिससे प्यार किया जाए .
10. ब्रह्म -ब्रह्मा
ब्रह्म एक विचार है , व्यक्ति नहीं जबकि ब्रह्मा हिन्दुओं के एक देव हैं .
ऐसे अनगिनत और भी शब्द हैं जिनकी पड़ताल उनके भावार्थ के रूप में की जा सकती है .हिंदी की अधूरी रह गयी शिक्षा के कारण हिंदी को पढ़ते हुए इन शब्दों के हेरफेर ने खूब चौंकाया . जब इन्टरनेट पर खंगाला तो पाया कि कई शब्दकोशों में भी इनके अंतर / अर्थ को स्पष्ट विभाजित नहीं किया गया है . शायद भाषा को दुरुहता से बचाना और आमजन में लोकप्रिय बनाना इसका एक प्रमुख कारण रहा हो . ब्लॉग जगत के हिंदी विद्वान /विदुषी इस पर प्रकाश डालें तो मुझ सहित आम हिंदी भाषी का भला हो जाए !